"होली"
हिरण्यकश्यप की समर्थक बहन- होलिका के अग्नी- कुण्ड मे जलने और परम सात्विक बिष्णु भक्त हिरण्यकश्यप के पुत्र भक्त प्रहलाद के उसी अग्नीकुण्ड से सुरक्षित वापस आने की खुशी मे होली मनाया जाता है,
आज होली मे फुलो की सुगन्ध(इत्र,सेन्ट) लगाने,बस्त्र बाँटने, पुआ आदि 56 भोग खाने-खिलाने, कृष्ण भक्ती गित(जोगिरा) गाने और प्रहलादजी का अनुसरण करने के जगह हम सब हिरण्यकश्यपु का अनुशरण कर,पशुओ को मार कर खाने,नशापान करने और एक दुसरे को रंग और किचड़ लगाने, कपड़े फाड़ने तथा अशलिल सिडी बजाने की परम्परा क्यो अपना रहे है यह एक यक्ष महाप्रश्न है, समाधान हम सब को मिलकर ढ़ूँढ़ना है, धर्म के रक्षार्थ शाक्त समाज के सदस्य बने
आज होली मे फुलो की सुगन्ध(इत्र,सेन्ट) लगाने,बस्त्र बाँटने, पुआ आदि 56 भोग खाने-खिलाने, कृष्ण भक्ती गित(जोगिरा) गाने और प्रहलादजी का अनुसरण करने के जगह हम सब हिरण्यकश्यपु का अनुशरण कर,पशुओ को मार कर खाने,नशापान करने और एक दुसरे को रंग और किचड़ लगाने, कपड़े फाड़ने तथा अशलिल सिडी बजाने की परम्परा क्यो अपना रहे है यह एक यक्ष महाप्रश्न है, समाधान हम सब को मिलकर ढ़ूँढ़ना है, धर्म के रक्षार्थ शाक्त समाज के सदस्य बने
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