रविवार, 16 जुलाई 2023

क्या सर्वेश्वरी दुर्गा का उद्गमस्थल बिक चुका है ⁉️

ये हमारी कुल देवी है, इनके आराधना में रत 1602 ई0 से आजतक का हमारे पुरखों का स्वर्णिम कुर्सी नामा रहा है , इस पुनित कार्य मे चेरी वंश, सुगांव, बेतिया राज व अनेकों सक्षम लोगों का ससमय भरपूर सहयोग मिलते रहा है, 
कोर्ट औफ वाड्स कैसे इसे अधिग्रहित कर हमें शोषण, अतिक्रमण और बद्दुआ मजदूरी के महाजाल में जकड़ लिया, यह आज भी हम सनातनीयों के लिए एक दुविधा भरा महाप्रश्न है, 

ऐसे में कानून हाथ में लेकर नहीं बल्कि कानुन को साध लेकर हम धर्म रक्षकों का अंदोलित रहना स्वाभाविक ही है, 

 

दुर्गा बाग मंदिर का यह गर्भ गृह प्रवेश द्वार है, यहां दोनों ओर फूल मिठाई की दुकानें है, यहां खड़ा होने के लिए भी दुकानदारों के अनुमति की आवश्यकता पड़ती है,
यह मंदिर का यज्ञशाला है, इसके बगल में दिख रहा छोटा कमरा मंदिर के दर्शनार्थी महिलाओं के कपड़ा बदलने के लिए चेंजिंग रुम है,  जिसे सन 2021ई0 तक अपने नाम से मंदिर नीलाम कराने वाले सेतु सिंह अपना ताला लगा कर अपने कब्जा में रक्खे हुए हैं, जरुरतमंद को आज भी सशुल्क उपलब्ध कराते हैं 
यहां भक्त गण पुजा के पुर्ण फल प्राप्ति हेतु परिक्रमा करते है, जिन की संख्या तिथि या उत्सव विशेष पर बढ़ जाती है, ऐसे में किसी अप्रिय घटना से  बचाव के लिए हमारे संस्था द्वारा रेलिंग लगाया गया है, जिसे सराती बच्चे बार बार तोड़ कर खेलने के लिए बेखौफ होकर अपने साथ लेजाते हैं, हमारे द्वारा मना करने पर हमसे मारपीट करने केलिए  मंदिर भुमि पर बसे लोगों की फौज हर पल उपस्थित रहती है