बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

छठ ब्रत


छठ ब्रत आज पुनः डूबते सूर्य (बुजूर्ग, रोगी-व- पागलको)प्रथम अर्घ(भोजन-व-सम्मान)का प्रथम हकदार बनानेकी सनातन परम्परा के संकल्प को पुनः दुहरा गया,इसे हम सब कब समझेंगे,इस ब्रत को अपना कर नारायणी व कत्यायन ऋषि की पुत्री माँ कत्यायनी (छठीमाँ) का आशीर्वाद प्राप्त करे पंडित राकेशचन्द्र झा बब्लू  b9431491033.blogspot.com , b9431491033@gmail.com ,06254-238572,

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

दीपावली पर यहभी विचारणीय है

किसी व्यक्ति या संस्थान के लिए किया गया उपकार ही पूजा है , फिर अष्टयाम में लाउडीस्पीकर या ध्वनि बिस्तारको के प्रयोग कर हम किसका भला कर रहे है हमे भीतो बतावे,एक सज्जन जोकि अपने अस्टयाम में ध्वनि बिस्तारक के प्रयोग करने के लिए ढेरों दलील दे रहे थे पर जब वापस अपने घर आये तो अपनेहीं पडोसी के यज्ञ में अपने घर के तरफ लगे लाउडीशपीकर का दिशा परिवर्तन करा कर अपने उस दब्बू पड़ोसी को कर्ण-कटु ध्वनि बिस्तारक के आवाज को झेलने पर विवश कर दिए,
मै  मानता हू की आपने अपने बेटे के नौकरी लगने के  के खुशी में  यह सब किया है, पर यह दूसरों को पीड़ा दे कर खुश होना देव उपासकों का दैविक गुण नही बल्कि दानवता है,
हमलोग भागवत आदि ज्ञान-यज्ञं में ध्वनि विस्तारकों  के प्रयोग के समर्थक है ,पर २४ घंटा मंत्रजप में ध्वनियों के बिस्तारकों के प्रयोग व डिस्पोजल समाग्रियो के प्रयोग की महत्ता  जो बेद वर्जित भी है मुझे तो समझ में नही आरही है,
दीपावली में माँ लक्ष्मी और पटाखा
मित्रो हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी हम तमाम मानवों के हर घर में अपने बाहन(उल्लू) पर सवार हो कर सुख-और-समृधि का आशीर्वाद प्रदान करने आती है, आज हम सब पूर्व से चली आ रही इसी परम्परा के अनुसार उनके स्वागत में दिए तो जलाते है , प्रसाद भोग भी लगाते है, लेकिन माँ लक्ष्मी को अपने घर के दिशा में आने से पहले ही हमसबके घरो से आनेवाले पटाखों के आवाज उनके लिए अवरोधक बन जाती है,जिस कारण हमसब माँ के आशीर्वाद से गत कुछेक बर्षोसे बंचित है, ...... इसवर्ष  आवाज  करने वाले पटाखों को  नही बजाने का संकल्प लें
निवेदक:- शक्त- समाज संचालक- विचार एकता वाले सदस्य बने -राकेश चन्द्र झा बब्लू दुर्गाबाग बेतिया 8877030112, 06254-238572 ,B94314910333.blogspot.comआप सब मित्रोसे करबद्ध प्रार्थना है कि आपसब मुझे अपने सुविचारो से अवश्य अवगत करावें, आपके इन्ही सुविचारो के बदौलत हमें अगले कदम का मार्गदर्शन मिलेगा, अष्टयाम मे ध्वनि विस्तारको का तथा दीपावली में पटाखों का प्रयोग नही हो   इसे पसंद या नापसंद करके या अपने टिप्पणियों द्वारा मुझे धर्मगुरु के नाते अपने विचारो से अवश्य अवगत करावे, ताकि मेरे द्वारा उठाया गया कोई कदम लोक निंदक न हो