जगसे होके मै निराश तेरे दरबार में आया हूँ, पूरा करदे मेरी आस,तेरे दरवार में आया हूँ, महिषासुर शुम्भ निशुम्भ ने जब,धरती पर अत्याचार किया, तूने रूप अनेको धरके माँ , उन दुष्टों का संहार किया, हल्का किया धरती का भार, तेरे दरबार में आया हूँ,स्नान ध्यान जप तप पूजा, तेरे चरणों में अर्पित है, जो कुछ भी है पास मेरे , मातेश्वरी तुझे समर्पित है,सर्वेश्वरी तुझे समर्पित है, पूरा करदे मेरी आस , तेरे दरवार में आया हूँ , जगसे होक मै........