पंचम सत्युग के देवासुर महासंग्राम मे पराजित देवगण बेत्रवती आरण्य मे तपस्या रत थे , उन्ही ऋषियो मे महर्षी अम्भृण की पुत्री मरकतमणी के समान( हरे) रंग वाली वॉक् जो मृडाल -सिँह के पिठ पर बिराजमान अपने चारो हाथोमे क्रमशः शँख -चक्र -धनुष और बाण धारण करती थी, उन देवो के दुर्गती हारण के लिए दुर्गाम नामक दानव सेना नायक समेत तमाम असुरों का संहार कर उन तपस्वियों को पुन: उनका पद व खजाना प्रदान कर उन्हें तथास्तु द्वारा उनकी याचना पुर्णकी, तब स्वर्गलोक से देवता तथा मृतूलोक से मनुष्य उनकी स्तुती दुर्गम- दानव संहारणी "दुर्गा" नाम से करने लगे, माँ उनहे तथास्तु का बरदान देकर अंतर्ध्यान होगइ, तब सबने अपने अंसदान से उक्त प्रतिमा स्थापित की,जोआजभी बिश्वके एकमात्र सर्बेश्वरी शक्ती पिठ के रुपमे कायम है, कालांतर मे इस मंदिर का देखभाल चेरी बंशके राजाओँ द्वारा फिर सुगाँव राजबंशो द्वारा फिर बेतिया राज द्वारा होने लगा, इस मंदिरके 52 एकड़ भुखण्ड मे तालाब बाग 11 अतिथीशालाओ 9 कुप, गणेश -अरुण के रथ मे बिराजमान सुर्य -अपने दोनो पत्नियो के साथ बर्तमान इन्द्र महाराज बली के मस्तक पर बिराजित सत्यनायण स्वरुप बिष्णू लक्ष्मी व अतिक्रमण मुक्ति की याचना मुद्रा में पृथ्वी, -नन्दीबैल शिवलिँग -श्वान रुपधारी भैरव -बलिमाता विशाल परिक्रमाकक्ष व घण्टाघर -काल तथा महाकाल का मंदिर चेरि बंशके इस मँदिर के संरक्षक राजाओ की सुची वाला दो बिशाल शिलालेख(आज बेतिया राज में जमा है) एवं भुकम्प मे क्षतिग्रस्त होकर पुनः भुकम्प रोधी नागर शैली मे निर्मित इस मंदिर की गाथा गता भुतपुर्व राजमैनेजर बिपिन बिहारी वर्मा द्वारा लगवाया गया शिलापट्ट भक्तो एवं अतिप्राचिन पुजारी पँ0 कृपानाथ झा के बंशजो का पुजा एवं श्रिँगारीक पुजा इस मन्दिर की शोभा बढ़ा रहे है, आज यह मंदिर कोर्ट ऑफ वाड्स के अधिन है, यहा रेल और बस दोनो मार्गो से आ सकते है, बेतिया नगर पच्छिम चम्पारण का मुख्यालय एवं बिहार के मुज्फरपुर नरकटियागंज मार्गमे स्थित है, यहा आकर माता का दर्शन मात्र कर लेने से सुख, सौभाग्य तथा सन्तान प्राप्ती व आपत्ति -बिघ्न -उपद्रव एवँ दुर्गती का नाश होजाता है, यहाँ किए गये चण्डी पाठ एवँ हवन से सतचण्डी महायज्ञ का फल मिल जाता हैँ , यहां सभी भक्तो की मन्नते शीघ्र ही पूरी होती है,यहाँ मन्नत पूर्ण होने पर दान पात्र में दान व छाग बली का बिधान है , इसस्थल को बेतिया राज मैनेजरों द्वारा शून्य व्यवस्था दे कर 1966 इसवी से ही बेलगाम शोषित किया जा रहा है, जिसकारन इस स्थल के रख-रखाव के लिए कोई ट्रष्ट अधिकृत नही हो पा रहा है, और इसके तमाम व्य्वस्थावो सहित भूखंड बेलगाम हो चुके अतिक्रमण के बेडियों में जकड़ता जा रहा है, जबकि यहां के मंदिर संरक्षण समिति व मंदिर कर्मियों की एकमात्र जीविका पर्यटन ही है मंदिर डाक के जरिए शोषण से सभी त्रस्त है ( लेख संग्राहकर्ता दुर्गाबाग के सँचालक एवं वर्तमान खैरटिया मंदिर के पुजारी पँ0राकेश चन्द्रझा,09431491033)
Have faith and believe in it.
जवाब देंहटाएंHave faith in Maha shakti,she will redeem all your problems soon.Long live hinglaz Bhawani ,chottanikars bhawani,Bettiah Bhawani .
हटाएंOm,Bhawani namo namah.
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